बर्ड फ्लू (एवियन एन्पलूऐन्जा) टास्क फोर्स की बैठक

आबिद हुसैन खबर मार्निंग

हापुड़ । बर्ड फ्लू (एवियन एन्पलूऐन्जा) टास्क फोर्स की बैठक जिलाधिकारी महोदय, हापुड़ की अध्यक्षता में कलैक्ट्रेट सभागार में आयोजित की गयी। जिसमें मुख्य विकास अधिकारी, मुख्य चिकित्साधिकारी, वनाधिकारी, समस्त उप जिलाधिकारी, अधिशासी अधिकारी, न०पा०परि०, गढ़मुक्तेश्वर / पिलखुवा, अधिशासी अभियन्ता लोक निर्माण विभाग, अधिशासी अभियन्ता सिंचाई विभाग, क्षेत्रीय अधिकारी पर्यावरण एवं प्रदूषण नियन्त्रण बोर्ड, जिला पंचायत राज अधिकारी, समस्त उप मुख्य पशु चिकित्साधिकारी / पशु चिकित्साधिकारी हापुड, डा० ओ०पी० मिश्रा, मुख्य पशु चिकित्साधिकारी, हापुड़, पोल्ट्री फार्म मालिकों एवं अन्य सम्बन्धित अधिकारियों द्वारा प्रतिभाग किया गया।

मुख्य पशु चिकित्साधिकारी द्वारा अवगत कराया गया कि जनपद रामपुर के कुक्कुट पक्षियों में H-5 N-1 एवियन इन्फ्लूऐन्जा वायरस के पॉजिटिव होने की पुष्टि की गई है। एवियन इन्फ्लूऐन्जा (बर्ड फ्लू) बीमारी से बचाव हेतु आवश्यक तैयारियां करने एवं सावधानियां / सतर्कता बरतने के सम्बन्ध में शासन द्वारा जनपद स्तरीय टास्क फोर्स की बैठक करने के निर्देश दिये गये हैं जिसके क्रम में पशुपालन, स्वास्थ्य, वन एवं पर्यावरण, सिंचाई, राजस्व, कर एवं निबन्धन, पंचायती राज, नगर निकाय एवं सूचना विभाग, उ०प्र० के सदस्यों की एक संयुक्त टास्क फोर्स गठित की गयी है। समस्त विभागों के द्वारा बर्ड फ्लू रोग के समय सम्पादित किये जाने वाले कार्यों की विस्तृत व्याख्या की गयी तथा बर्ड फ्लू एक्शन प्लान से सभी को अवगत कराया गया कि यह एवियन इन्फ्लूएन्जा बीमारी है, यह एक विषाणु जनित (वायरल) इन्फेन्कशन है। विषाणु वर्तमान में H5 प्रकृति का है। यह आर.एन.ए. टाईप 'ए' वायरस है। इसके तीन एन्टीजन टाईप "ए." 'बी' तथा 'सी' होते हैं। बी एवं सी मनुष्यों में इन्फ्लुएन्जा रोग के प्रमुख कारण हैं। टाईप 'ए' पक्षियों में तथा मनुष्यों, सूकरों, घोडे तथा बन्दरों में भी रोग उत्पन्न करते हैं।

 बर्ड फ्लू प्रभावित पक्षियों की प्रजातियां यथा-घरेलू पक्षी प्रजातियां, मुर्गी, जंगली पक्षी, माईग्रेटरी पक्षी हैं। पक्षियों में बर्ड फ्लू बीमारी के प्रमुख लक्षण जैसे-पक्षियों के आंख एवं नाक से लाल रंग का पानी आना, हरे व लाल रंग का पतला दस्त (बीट), पक्षी को ज्वर आना, कलंगी, वाटल व पैरों का बैंगनी हो जाना, पक्षियों के गर्दन तथा आंखों के निचले हिस्से में सूजन, अण्डा उत्पादन कम, श्वांस लेने में कठिनाई, छींक, खांसी एक जगह बैठे रहना सिर एवं गर्दन में सूजन आदि हो जाना। प्रभावित पक्षियों में मृत्यु दर 50 से 100 तक होती है। मुख्य पशु चिकित्साधिकारी द्वारा बर्ड फ्लू रोग से बचाव हेतु सुझाव दिये गये कि बायोसिक्योरिटी, साफ-सफाई रखना, मुर्गी, बत्तख, मछली तथा सुकर पास-पास न पालें, बीमार पक्षियों के बीट से बचें, मृत प्रवासी पक्षियों से, प्रभावित कुक्कुट प्रक्षेत्रों से तथा एच०पी०ए०आई० से ग्रसित पक्षियों के शव विच्छेदन से बचें, कुक्कुट पालन का कार्य पूरी बायोसिक्योरिटी अपनाते हुए संतुलित आहार, स्वस्थ चूजों, उत्तम रख-रखाव विधि से किया जाये तथा मृत पक्षियों का डिस्पोजल, डिस्पोजल पिट में किया जाये तथा बीमार पक्षियों को तुरन्त निकाल दिया जाये तो रोग की सम्भावना कम हो जाती है।

वर्तमान में जनपद में बर्ड फ्लू के केस तथा पक्षियों के मृत होने की कोई सूचना प्राप्त नहीं हुई है। पशुपालन विभाग की पूरे जनपद में पांच रेपिड रेसपॉन्स टीम गठित की गयी हैं तथा बर्ड फ्लू के सम्बन्ध में किसी भी प्रकार की सूचना के आदान-प्रदान हेतु जनपदीय कन्ट्रोल रूम नम्बर- 0122-2980035, 0122-2980038 पर प्राप्त की जा सकती है। रेपिड रेसपॉन्स टीम द्वारा जनपद के समस्त पोल्ट्री फार्मों की नियमित जांच कर सैम्पल मण्डलीय प्रयोगशाला में भेजे जा रहे हैं। डा० सुनील कुमार, मुख्य चिकित्साधिकारी द्वारा बताया गया है कि स्वास्थ by विभाग द्वारा बर्ड फ्लू से बचाव की पूर्ण व्यवस्था की गयी है जिस हेतु 450 पी०पी०ई० किट, 5000 टैमीपलू टेबलेट, 2000 मास्क, 500 H-1 N-1 मास्क तथा 100 बेड का आइसोलेशन वार्ड तैयार किया गया है। जिलाधिकारी महोदय द्वारा निर्देशित किया गया कि बर्ड फ्लू रोग के सम्बन्ध में समस्त विभाग अपनी तैयारियां पूर्ण रखें तथा आम जन-मानस को बर्ड फ्लू रोग के सम्बन्ध में अधिक से अधिक जानकारी प्रदान करें एवं जनपद के समस्त पोल्ट्री फार्मों एवं विक्रेताओं के यहां से अधिक से अधिक मात्रा में सैम्पल जांच हेतु प्रयोगशाला में भेजे जायें।

Post a Comment

Previous Post Next Post