नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज से आठ दिवसीय विदेश यात्रा पर रवाना हो गए हैं। यह यात्रा कई मायनों में विशेष मानी जा रही है, क्योंकि इस बार प्रधानमंत्री कुल पांच देशों का दौरा करेंगे। प्रधानमंत्री मोदी की यह बहुप्रतीक्षित यात्रा 2 जुलाई से शुरू होकर 9 जुलाई को समाप्त होगी। यात्रा के दौरान वे घाना, त्रिनिदाद एंड टोबैगो, अर्जेंटीना, ब्राजील और नामीबिया का दौरा करेंगे।
यात्रा का प्रमुख आकर्षण ब्राजील के रियो डी जेनेरियो में आयोजित ब्रिक्स (BRICS) शिखर सम्मेलन होगा, जिसमें प्रधानमंत्री मोदी भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे। यह सम्मेलन वैश्विक राजनीति, आर्थिक सहयोग, जलवायु परिवर्तन, और वैश्विक दक्षिण के सशक्तिकरण जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा का मंच बनेगा।
प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा जारी जानकारी के अनुसार, इस यात्रा का उद्देश्य भारत की ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ की परिकल्पना को विश्व मंच पर सशक्त रूप में प्रस्तुत करना है। मोदी के इस दौरे को दक्षिण वैश्विक संबंधों के सुदृढ़ीकरण और सामरिक साझेदारियों के विस्तार के तौर पर देखा जा रहा है।
यात्रा का संक्षिप्त विवरण:
| तिथि | देश | मुख्य कार्यक्रम 2 जुलाई | भारत से प्रस्थान | दिल्ली से रवाना |
3–4 जुलाई | घाना | द्विपक्षीय समझौतों पर हस्ताक्षर, प्रवासी भारतीयों से मुलाकात
5 जुलाई | त्रिनिदाद एंड टोबैगो | भारतीय मूल के लोगों के साथ संवाद, सांस्कृतिक आदान-प्रदान
6 जुलाई | अर्जेंटीना | कृषि, ऊर्जा व रक्षा क्षेत्र में सहयोग पर बातचीत
7–8 जुलाई | ब्राजील | ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भागीदारी
9 जुलाई | नामीबिया | वन्यजीव संरक्षण और तकनीकी साझेदारी पर चर्चा
ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका) के वार्षिक सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी की भागीदारी बेहद अहम मानी जा रही है। इस बार सम्मेलन में वैश्विक दक्षिण के आर्थिक पुनर्गठन, डिजिटल सहयोग , और नवाचार में साझेदारी जैसे विषयों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। भारत के एजेंडे में वैश्विक व्यापार संतुलन और विकासशील देशों की आवाज को सशक्त बनाना प्रमुख बिंदु होंगे।
इस यात्रा को भारत की लुक वेस्ट पॉलिसी’ और ‘ग्लोबल रीच आउट’ नीति का एक महत्वपूर्ण पड़ाव माना जा रहा है। प्रधानमंत्री मोदी का यह दौरा न केवल भारत की वैश्विक पहचान को और अधिक सशक्त करेगा, बल्कि अफ्रीका और लैटिन अमेरिकी देशों के साथ भारत के बहुपक्षीय संबंधों में भी नया आयाम जोड़ेगा।
हर देश में प्रधानमंत्री की योजना प्रवासी भारतीयों के साथ संवाद करने की भी है। त्रिनिदाद एंड टोबैगो और घाना जैसे देशों में भारतीय मूल के लोगों की बड़ी संख्या है, जिनसे मुलाकात कर प्रधानमंत्री भारतीय संस्कृति और विरासत के महत्व को रेखांकित करेंगे।
प्रधानमंत्री मोदी की यह यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब वैश्विक कूटनीति में दक्षिणी गोलार्ध के देशों की भूमिका तेजी से बढ़ रही है। यह दौरा न केवल राजनीतिक और आर्थिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह दर्शाता है कि भारत अब ‘निष्क्रिय दर्शक’ नहीं, बल्कि ‘सक्रिय भागीदार’ के रूप में वैश्विक मंच पर उपस्थित है।