आर्थ्रोग्रायपोसिस मल्टीपल कंजेनिटा बच्चों में होने वाली पैदायशी समस्या है : डॉ महिपाल सिंह

 प्रफुल्ल पांडेय खबर मार्निंग

नोएडा। फर्स्ट वन रेहब फाउंडेशन के अध्यक्ष डॉ महिपाल सिंह फिजियोथेरेपिस्ट और डॉ दीक्षा श्रीवास्तव ऑक्यूपेशनल थेरापिस्ट ऐसे दुर्लभ विकार के एक बच्चे का इलाज पिछले 15 वर्षों से कर रहे है ताकि वो अपने जीवन स्तर को बेहतर करके खुशहाल जीवन जी पाए। आज वो बारहवीं की परीक्षा अच्छे अंकों से पास कर अपने जीवन के अगले लक्ष्य की ओर अग्रसर है। उसके माता पिता का लगातार थेरेपी और पढ़ाई दोनों के लगातार समर्पण आज उसे इस मुकाम पर ला पाया है की वो सबके सामने अपनी बात रख पाए।

 डॉ महिपाल सिंह ने बताया कि आर्थ्रोग्रायपोसिस मल्टीपल कंजेनिटा बच्चों में होने वाली पैदायशी समस्या है जो गर्भ में ही बच्चों के जोड़ो के विकास को ठीक से होने नहीं देती जिससे की बच्चा दो या दो से अधिक जोड़ो में विकार के साथ पैदा होता है। ऐसे बच्चों के शरीर के विभिन्न जोड़ो में कांट्रेक्चर ( जोड़ो का छोटा होकर सिकुड़ जाना, ठीक से विकसित ना हो पाना ) की समस्या के कारण उनके मांसपेशियों और जोड़ो का शारीरिक विकास ठीक से नहीं हो पाता जिससे बच्चा अपनी बड़ी और छोटी मांसपेशियों का इस्तेमाल नहीं कर पाता और उसका खड़ा होना, चलना, उछलना, कूदना संभव नहीं हो पता।

ये बच्चे हाथों का भी कांट्रेक्चर की वजह से ठीक काम नहीं कर पाते। इसका मुख्य कारण बच्चे का गर्भ में विकास के समय गतिशील ना रहना है। सामान्य तौर पर बच्चा पाँच से छठे महीने में गर्भ में गति करने लगता है। कभी कभी यह अनुवांशिक कारण से भी हो सकता है। ऐसे बच्चे का मानसिक और भावनात्मक विकास सामान्य होता है। यह एक बहुत दुर्लभ विकार है जो 10000 बच्चों में से एक को हो सकता है। डॉ दीक्षा श्रीवास्तव ने बताया कि आर्थरोग्रायपोसिस मल्टीपल कंजेनिटा के जागरूकता दिवस पर हम फर्स्ट वन रेहब फाउंडेशन के तरफ से सबको जागरूक करना चाहते है की सभी इस विकार से होने वाली चुनौतियों को समझे और ऐसे बच्चों का सामाजिक एकीकरण करने में अपना सहयोग करिए। ऐसे बच्चे आप सभी के सहयोग से अपने जीवन में बेहतर कर सकते है।

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