बिहार विधानसभा चुनाव से पहले वोटर लिस्ट का विशेष पुनरीक्षण जोरों पर, 66.16% गणना कार्य पूरा

पटना। बिहार विधानसभा चुनाव से पहले चुनाव आयोग द्वारा मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision - SIR) अभियान तेज गति से जारी है। आयोग की टीमें अब तक राज्य भर में लगभग 66.16 प्रतिशत गणना फॉर्म भरवा चुकी हैं, जिससे साफ संकेत मिलते हैं कि कार्य धरातल पर तेजी से आगे बढ़ रहा है।

चुनाव आयोग से मिली आधिकारिक जानकारी के अनुसार, मतदाता सूची सत्यापन अभियान के तहत अब तक दो-तिहाई से अधिक कार्य संपन्न हो चुका है। अभी भी 15 दिन की समय सीमा शेष है, ऐसे में बाकी बचे कार्य को तय समय में पूरा कर लेने का भरोसा जताया जा रहा है।

क्या है विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR)?
SIR के तहत घर-घर जाकर मतदाताओं की जानकारी को अद्यतन किया जा रहा है। इसमें नाम, पता, आयु, लिंग, मृतक या डुप्लीकेट मतदाताओं की पहचान, नए मतदाता जोड़े जाने जैसी प्रक्रियाएं शामिल हैं। यह कवायद राज्य में पारदर्शी और त्रुटिरहित चुनाव संपन्न कराने के उद्देश्य से की जा रही है।

विपक्ष ने उठाए सवाल : वहीं दूसरी ओर विपक्षी दल चुनाव आयोग की इस प्रक्रिया पर सवाल उठा रहे हैं। विपक्ष का आरोप है कि इस पुनरीक्षण अभियान के पीछे राजनीतिक मंशा हो सकती है। कुछ दलों ने इसे सुप्रीम कोर्ट तक चुनौती दी है, वहीं कई स्थानों पर सड़क पर विरोध प्रदर्शन भी किए जा चुके हैं।

चुनाव आयोग की प्रतिक्रिया : इन आरोपों के जवाब में चुनाव आयोग का कहना है कि यह प्रक्रिया पूरी तरह निष्पक्ष और लोकतांत्रिक है। आयोग के अनुसार, राज्य में प्रत्येक पात्र नागरिक को वोट देने का अधिकार सुनिश्चित करना ही इस पुनरीक्षण का उद्देश्य है।

अंतिम लक्ष्य की ओर बढ़ता अभियान : सूत्रों के अनुसार, राज्य में कुल मतदाता परिवारों की गणना कर फॉर्म जमा करने की प्रक्रिया निर्धारित समयसीमा के भीतर पूरी करने के निर्देश दिए गए हैं। आंकड़ों की बात करें तो लगभग 66.16% कार्य पूर्ण होने के साथ ही यह अभियान तय रफ्तार से आगे बढ़ रहा है।

निगरानी बढ़ाई गई : चुनाव आयोग ने जिला और बूथ स्तर पर अधिकारियों को पुनरीक्षण कार्य में किसी भी प्रकार की लापरवाही न बरतने के निर्देश दिए हैं। उच्चाधिकारियों की ओर से लगातार समीक्षा बैठकों के जरिए प्रगति की निगरानी की जा रही है।

बिहार विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची का यह विशेष सत्यापन राज्य के चुनावी परिदृश्य में अहम भूमिका निभाएगा। अब देखना होगा कि इस प्रक्रिया को लेकर उठे विवादों के बीच चुनाव आयोग अपने लक्ष्य को कितनी पारदर्शिता और समयबद्धता से पूरा कर पाता है।

Post a Comment

Previous Post Next Post