किससे कितना रुपया लेना है यह तय करते हैं कनिष्ठ लिपिक
दो मगरमच्छ रंगे हाथ रिश्वत लेने के मामले में जा चुके हैं जेल
पवन पाराशर
हापुड़। जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय मौजूदा समय में भ्रष्टाचार की गंगोत्री बना हुआ है। पुस्तकों पर हो रही दलाली या अधिक रुपया वसूलने, ड्रेस के माध्यम से दलाली, सस्पेंड होने पर, स्कूलों में कमी बेसी पाए जाने, मान्यता में गड़बड़ी पाए जाने पर कितना इन सभी मामलों में कितना रुपया वसूला जाना है यह जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय के कनिष्ठ लिपिकों द्वारा ही तय किया जाता है। एक स्कूल संचालक की शिकायत पर बिजिलेंस मेरठ की टीम एक कनिष्ठ लिपिक व एक संविदाकर्मी को रंगे हाथ रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार कर चुकी है। हालांकि बाद में कनिष्ठ लिपिक को सस्पेंड कर दिया गया और संविदाकर्मी की सेवा समाप्त कर दी। जिलाधिकारी ने अपने निरीक्षण के दौरान दो लोगों को बर्खास्त कर दिया। अब भ्रष्टाचार के मामलों में एबीएसए सस्पेंड करने की संतुति की गई है। साथ ही बीएसए कार्यालय के लिए एसओपी भी जारी कर दी गई है। अब कार्यालय में तैनात हर व्यक्ति पूरी तरह से सदमे में आ गया है। यहां तक कि जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ने तो मीडियाकर्मियों का फोन उठाना तक बंद कर दिया है।
जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय में काफी समय से भ्रष्टाचार का खेल चल रहा है मगर अभी तक किसी भी जिलाधिकारी ने इस मामले को गंभीरता से नहीं लिया था। भ्रष्टाचार का खेल का पर्दाफाश उस समय हुआ जब मेरठ से आई बिजिलेंस की टीम ने रिश्वत के 70 हजार के साथ कनिष्ठ लिपिक दीपेन्द्र शर्मा व संविदाकर्मी सहायक लेखाकार ग्राम भगवानपुर थाना सिंभावली, हापुड़ निवासी निखिल शर्मा को गिरफ्तार किया। इसके बाद जिलाधिकारी अभिषेक पाण्डेय ने बीएसए कार्यालय का औचक निरीक्षण किया। वहां पर मौजूद संदिग्ध लोगों से पूछताछ करने का बाद दो लोगों को बर्खाश्त कर तीसरे से उसका चार्ज छिन लिया। जिलाधिकारी ने कार्यालय में मौजूद अन्य को भी चेतावनी दी। अब सहायक बेसिक शिक्षा अधिकारी को सस्पेंड किए जाने की संतुति की गई है। इन सभी मामलों के उजागर होने के बाद से पूरे विभाग में हड़कंप मचा हुआ है। यहां तक कि जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ऋतु तोमर ने तो मीडियाकर्मियों का फोन उठाना तक बंद कर दिया है।
बीएसए कार्यालय में ऐसे चलता है भ्रष्टाचार का खेल
जिस बुक सेलर द्वारा स्कूल की सांठगांठ से बच्चों के अभिभावक से किताबों व स्कूल की ड्रेस के माध्यम से ठगी की जाती है उससे बीएसए कार्यालय में एक से दो लाख रुपए, जो अध्यापक सस्पेंड हो जाता है उसे बहाल करने के एक से डेढ़ लाख, स्कूल में कमी बेसी पाए जाने पर 50 हजार से एक लाख रुपए तथा स्कूल की मान्यता में कमी पाए जाने पर उसके संचालक से 70 हजार से एक लाख रुपए तक वसूले जाते हैं। यह खेल बीएसए कार्यालय में काफी समय से चल रहा है और इस खेल को बढ़ावा देने वाले ज़्यादातर लिपिक व उनके सहयोगी हैं। उन्होने पूरे कार्यालय को भ्रष्टाचार की गंगोत्री बनाकर रख दिया है। अब स्थिति यह है कि बीएसए कार्यालय में छोटे से छोटा काम बिना रिश्वत लिए नहीं किया जाता।
चपरासी व संविदाकर्मी को बनाया जाता है माध्यम
रिश्वत लेने का जब कोई बीएसए कार्यालय में आता है तो आसामी से रुपए तय होने के बाद रुपए देने का माध्यम चपरासी या संविदाकर्मी को बना दिया जाता है। कार्यालय में कार्यरत एक कर्मचारी ने नाम प्रकाशित न किए जाने की शर्त पर बताया कि जब से कार्यालय गांव चितौली रोड पर आया है तब से तो भ्रष्टाचार का खेल खुलेआम चल रहा है। जिस दिन बिजिलेन्स की रेड पड़ी सबसे पहले मुझे ही माध्यम बनाया जा रहा था किन्तु ऐन वक्त पर अखिल शर्मा को शामिल कर दिया गया। वह कान पकड़ते हुए बोला सर वह तो तौबा करता है सौ-दो सौ के लिए वह अब किसी का साथ नहीं देगा। मुझे तो ईमानदारी के साथ अपने बच्चे पालने हैं।