प्रयागराज। प्रख्यात वरिष्ठ अधिवक्ता शम्भू चोपड़ा द्वारा लिखित महत्वपूर्ण विधिक कृति ‘Article 21: The Spirit of the Constitution’ का लोकार्पण आज सायं होटल ट्रेबो डिवाइन स्टे, प्रयागराज में आयोजित एक गरिमामयी समारोह में सम्पन्न हुआ।इस अवसर पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय के माननीय न्यायमूर्ति जे. जे. मुनिर मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे, जबकि समारोह की अध्यक्षता माननीय न्यायमूर्ति श्री अरुण टंडन (सेवानिवृत्त) ने की।
मुख्य अतिथि न्यायमूर्ति मुनिर ने अनुच्छेद 21 को संविधान का अति महत्वपूर्ण अनुच्छेद बताते हुए कहा कि “यह न केवल जीवन के अधिकार की रक्षा करता है, बल्कि उसमें गरिमा और स्वतंत्रता का विस्तार करता है। ऐसी पुस्तकों की आवश्यकता है जो कानून को केवल विधिक दायरे में ही नहीं, बल्कि सामाजिक चेतना से भी जोड़ें।”
विशिष्ट अतिथि न्यायमूर्ति अरुण टंडन ने लेखक को बधाई देते हुए कहा, “यह पुस्तक विधि के छात्रों, अधिवक्ताओं एवं नागरिक अधिकारों के अध्येताओं के लिए मार्गदर्शक सिद्ध होगी। लेखक ने संवैधानिक भावना को सरल भाषा में आमजन तक पहुंचाया है।”
लेखक शम्भू चोपड़ा ने अपने वक्तव्य में कहा, “अनुच्छेद 21 भारतीय संविधान का सबसे मानवीय अनुच्छेद है। यह केवल एक अधिकार नहीं, बल्कि न्याय, स्वतंत्रता और गरिमा की पूरी अवधारणा को समाहित करता है। मैंने इस पुस्तक के माध्यम से इसकी व्यापकता, न्यायालयों की व्याख्याओं और सामाजिक प्रभावों को सरल भाषा में प्रस्तुत करने का प्रयास किया है।”
समारोह में साहित्य, विधि एवं पत्रकारिता जगत की प्रतिष्ठित हस्तियों की उपस्थिति उल्लेखनीय रही। इस अवसर पर अनुपम परिहार, अरविंद श्रीवास्तव, पूजा गुप्ता, प्रो रितु जायसवाल अनुपम कुमार, ऋषि कुमार, सुधांशु अग्रवाल, आदर्श मालवीय, महिमा जायसवाल सहित अनेक अधिवक्ता, विधि छात्र एवं गणमान्य जन उपस्थित रहे।
पुस्तक विमोचन उपरांत विमर्श का दौर चला जिसमें संविधान के मूल्यों की समकालीन प्रासंगिकता पर विचार साझा किए गए। समारोह का संचालन प्रो रितु जायसवाल धन्यवाद ज्ञापन अनुपम परिहार धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ।