प्रभु श्रीराम, समुद्र और लक्ष्मण की कहानी, रामचरितमानस और वाल्मीकि रामायण का भेद

विनोद kumar झा

"हिंदू धर्म के दो महान ग्रंथ, श्रीरामचरितमानस और वाल्मीकि रामायण, भगवान श्रीराम की अद्भुत गाथा को अलग-अलग दृष्टिकोणों से प्रस्तुत करते हैं। दोनों में लंका जाने के लिए समुद्र से मार्ग मांगने की घटना का वर्णन मिलता है, लेकिन एक में लक्ष्मण का क्रोध दिखता है, तो दूसरे में स्वयं श्रीराम का। यह कहानी सिर्फ समुद्र पर विजय की नहीं, बल्कि धैर्य, धर्म और अहंकार पर विजय की है। आइए जानते हैं, इन दोनों ग्रंथों के इस महत्वपूर्ण प्रसंग में क्या भिन्नता है और इसके पीछे छिपा गहरा संदेश।"

श्रीरामचरितमानस में घटना का विवरण : गोस्वामी तुलसीदास रचित श्रीरामचरितमानस के अनुसार, जब भगवान श्रीराम और उनकी सेना लंका जाने के लिए समुद्र से मार्ग मांगते हैं, तो समुद्र ने उनकी प्रार्थना को अनसुना कर दिया। इस पर श्रीराम धैर्य रखते हैं, लेकिन लक्ष्मण इस अनादर से अत्यधिक क्रोधित हो जाते हैं। लक्ष्मण समुद्र को दंडित करने के लिए तत्पर हो जाते हैं, लेकिन श्रीराम उन्हें शांत करते हैं और समुद्र से विनम्रता से मार्ग देने का आग्रह करते हैं।  

वाल्मीकि रामायण में घटना का उल्लेख  : महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित रामायण में इसका वर्णन थोड़ा भिन्न है। यहाँ भगवान श्रीराम स्वयं समुद्र के अड़ियल रवैये से क्रोधित होते हैं। समुद्र के अहंकार को समाप्त करने के लिए श्रीराम अपने धनुष पर अग्निबाण चढ़ाते हैं और समुद्र को सुखा देने की चेतावनी देते हैं। उनके इस क्रोध से समुद्र भयभीत हो उठता है और अपने कृत्य के लिए क्षमा मांगता है। अंततः समुद्र श्रीराम को लंका जाने के लिए मार्ग देने का उपाय बताता है।  

धार्मिक और नैतिक संदेश : इन दोनों ग्रंथों में इस घटना का भिन्न वर्णन भले ही हो, लेकिन दोनों का उद्देश्य एक ही है—श्रीराम के चरित्र की गहराई और धर्म के प्रति उनकी निष्ठा को दर्शाना। श्रीराम न केवल क्रोध और क्षमा का संतुलन रखते हैं, बल्कि धर्म और सत्य के मार्ग पर अडिग रहते हुए दूसरों को भी प्रेरित करते हैं।  

समुद्र और मानवीय भावनाओं का प्रतीकात्मक महत्व : समुद्र को मानवीय अहंकार और धैर्य का प्रतीक माना जा सकता है। यह घटना बताती है कि अहंकार चाहे कितना भी बड़ा क्यों न हो, उसे प्रेम, धैर्य और सत्य के समक्ष झुकना ही पड़ता है।  

वाल्मीकि रामायण और श्रीरामचरितमानस की यह घटना आज भी हमें यह सिखाती है कि धैर्य और विवेक से सभी समस्याओं का समाधान संभव है। भगवान श्रीराम का चरित्र हर परिस्थिति में सही निर्णय लेने की प्रेरणा देता है।

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