नवरात्रि के सातवें दिन माँ कालरात्रि का पूजन: कथा, पूजा विधि, मंत्र और प्रिय भोग

 विनोद कुमार झा

आज नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि का पूजन किया जाएगा। इस दिन साधक का मन सहस्रार चक्र में स्थित होता है। माँ कालरात्रि अपने दुष्टों का संहार करती हैं, हालांकि उनका रूप देखने में अत्यंत भयंकर है। बावजूद इसके, वे अपने भक्तों को सदैव शुभ फल प्रदान करती हैं, इसीलिए इन्हें शुभंकरी भी कहा जाता है। उनका वर्ण काला है, तीन नेत्र हैं, और वे गले में मुंडों की माला धारण करती हैं। वे गदर्भ (गधा) पर सवार होती हैं। उनके नाम का उच्चारण मात्र से ही बुरी शक्तियां भयभीत होकर भाग जाती हैं।

एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता। 

लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी॥

वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा। 

वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयंकरी॥

मां कालरात्रि का स्वरूप


मां कालरात्रि के स्वरूप का वर्णन कुछ इस प्रकार है

 *रंग: गहरे अंधकार की तरह काला

* नेत्र: तीन गोल नेत्र, जो ब्रह्मांड के समान प्रतीत होते हैं

*वस्त्र: सिर के बाल बिखरे हुए और गले में विद्युत-सी चमकती माला

*हाथों में दाहिनी ओर के ऊपर वाले हाथ में वर मुद्रा, नीचे वाले में अभय मुद्रा। बाईं ओर के ऊपर वाले हाथ में लोहे का कांटा और नीचे वाले में खड्ग

माँ कालरात्रि अपने भयावह रूप के बावजूद भक्तों को शुभ फल देती हैं। इसलिए वे शुभंकरी के नाम से भी जानी जाती हैं। उनकी पूजा से भक्तों को डरने की आवश्यकता नहीं होती। कालरात्रि की आराधना से भक्त तमाम सिद्धियों के अधिकारी बनते हैं, और सभी आसुरी शक्तियां उनके नाम के स्मरण मात्र से दूर भाग जाती हैं।

मां कालरात्रि का पूजन मंत्र

ॐ जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।  

दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोस्तु ते॥

 माँ कालरात्रि का प्रिय भोग

माँ कालरात्रि को गुड़ और हलवे का भोग विशेष रूप से प्रिय है। उन्हें ये भोग अर्पित करने से वे प्रसन्न होकर भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करती हैं।

माँ कालरात्रि की पूजा विधि

* पूजा के लिए प्रातः 4 से 6 बजे का समय सबसे शुभ माना जाता है।

* स्नान आदि कर लाल रंग के कपड़े पहनकर पूजा प्रारंभ करें।

* मां कालरात्रि के समक्ष दीपक प्रज्वलित करें और फल, फूल, मिठाई अर्पित करें।

* पूजा के दौरान मां का ध्यान करते हुए मंत्र जाप करें।

* काली चालीसा, सिद्धकुंजिका स्तोत्र, अर्गला स्तोत्रम का पाठ भी इस दिन विशेष लाभकारी माना जाता है।

* सप्तमी की रात्रि में तिल या सरसों के तेल की अखंड ज्योति जलाने का भी महत्व है।

 माँ कालरात्रि का आशीर्वाद

माँ कालरात्रि की कृपा से भक्त को ग्रह बाधाओं, अग्नि, जल, जंतु, शत्रु और रात्रि भय से मुक्ति मिलती है। उनकी आराधना से भक्त निडर और निर्भय हो जाता है।

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