पितर पक्ष विशेष: यमराज की पुत्री का नाम क्या था, गन्धर्वकुमार ने उसे क्यों शाप दिया

हिदू धर्म पुराणों में ऐसे-ऐसे पात्रों का वर्णन मिलता है जो ज्यादा प्रचलित नहीं है उसी में से एक पात्र सुनीथा है जो मृत्यु देवता की मानसिक पुत्री थी । तीनों लोकों में अपनी सुंदरता के लिए प्रसिद्ध थी।  बचपन से ही उसने देखा कि उसके पिता धार्मिक लोगों को सम्मान देते हैं और पापियों को दंडित करते हैं। अपनी सहेलियों के साथ खेलते समय वह भी इन बातों का अनुकरण करती। एक दिन खेलते हुए वह एक स्थान पर पहुँची, जहाँ एक सुन्दर गन्धर्वकुमार सरस्वती की आराधना में लीन था। सुनीथा उसे निरपराध समझकर कोड़े बरसाने लगी। भोलेपन में वह इसे खेल मानती रही और प्रतिदिन आकर गन्धर्वकुमार को सताने लगी।

एक दिन गन्धर्वकुमार ने क्रोध में आकर कहा, “भले लोग मारने वाले को मारते नहीं और गाली देने वाले को गाली नहीं देते। यही धर्म की मर्यादा है।” सुनीथा ने यह बात अपने पिता को बताई, पर पिता ने इसे अनसुना कर दिया, जिससे यह पापाचार रुका नहीं। एक दिन गन्धर्वकुमार ने शाप दिया, “विवाह के बाद तुम्हारे गर्भ से ऐसा पुत्र उत्पन्न होगा, जो देवताओं और ब्राह्मणों की निंदा करेगा और पाप के मार्ग पर चलेगा।”

सुनीथा के पिताजी ने इस शाप का समाधान करने के लिए उसे पुण्य-कर्मों में लगाने का प्रयास किया। लेकिन, जब सुनीथा विवाह योग्य हुई, तो देवता और मुनि इस शाप के कारण विवाह के लिए तैयार नहीं हुए। अंततः सुनीथा ने तपस्या शुरू की। उसकी सखियाँ रम्भा और अन्य अप्सराएँ उसकी मदद के लिए आईं। रम्भा ने उसे पुरुषों को मोहित करने की विद्या दी, जिसे सीखकर सुनीथा ने अंग नामक अत्रि मुनि के पुत्र को मोहित कर विवाह कर लिया। 

विवाह के बाद उनके पुत्र वेन का जन्म हुआ, जो शाप के प्रभाव से घोर नास्तिक बन गया। वेन ने वैदिक कर्मकाण्डों को त्याग दिया और राज्य में धर्म का नाश होने लगा। पिताजी अंग और सप्तर्षियों के समझाने के बाद भी वेन पाप के मार्ग पर चलता रहा। अंततः सप्तर्षियों ने वेन के बाएं हाथ को मथकर उसके पाप को बाहर निकाला, जिससे एक काला पुरुष उत्पन्न हुआ और पाप समाप्त हुआ। फिर वेन के दाहिने हाथ से भगवान विष्णु पृथु के रूप में प्रकट हुए, जिन्होंने धर्म की पुनः स्थापना की।

भगवान विष्णु ने वेन को आश्वासन दिया कि उसका उद्धार निश्चित है और उसे अश्वमेध यज्ञ के साथ पुण्य-कर्मों में लगने का आदेश दिया।

सुनीथा - मृत्य (पितरों) की पुत्री; अंग की रानी और वेन की माता थी। वेन के राज्याभिषेक की पूर्व सूचना प्राप्त करने वाली; मंत्रों से शव की रक्षा करने वाली देवी है। 

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