दरबार में सभी ने यह सुनकर मजा लिया, लेकिन शेख चिल्ली ने सिर झुकाए रखा। कुछ दिनों बाद, शेख चिल्ली छोटे नवाब के घर के पास से गुजर रहा था, तभी उसे अंदर बुलाया गया। छोटे नवाब ने कहा, "जल्दी से किसी अच्छे हकीम को बुलाओ, बेगम बीमार हैं।" शेख चिल्ली ने आदेश का पालन किया और थोड़ी ही देर में हकीम के साथ कफन बनाने वाला और कब्र खोदने वाले मजदूर भी वहां पहुंच गए। छोटे नवाब ने गुस्से में पूछा, "यह सब क्या है? मैंने तो सिर्फ हकीम को बुलाने के लिए कहा था!"
शेख चिल्ली ने कहा, "आपने ही तो कहा था कि एक अच्छा आदमी बताए गए काम से भी ज्यादा काम करता है, इसलिए मैंने सभी संभावनाओं को ध्यान में रखते हुए यह कदम उठाया।"
छोटे नवाब को शतरंज और शिकार का शौक था, और उन्होंने एक प्रतियोगिता रखी जिसमें सबसे बड़ा झूठ बोलने वाले को विजेता घोषित किया जाना था। कई लोग आए और झूठ बोले, लेकिन छोटे नवाब हर झूठ को संभव मानकर अनदेखा कर देते। तब शेख चिल्ली ने कहा, "सरकार, आप इस राज्य के सबसे बड़े बेवकूफ हैं और आपको नवाब के सिंहासन पर बैठने का कोई हक नहीं है!"
सन्नाटा छा गया, और छोटे नवाब ने शेख चिल्ली को गिरफ्तार करने का आदेश दिया। शेख चिल्ली ने कहा, "सरकार, आपने ही तो सबसे बड़ा झूठ सुनने की इच्छा जताई थी। इससे बड़ा झूठ और क्या हो सकता है?"
छोटे नवाब समझ नहीं पाए कि शेख चिल्ली सच बोल रहा था या झूठ। फिर उन्होंने हंसते हुए शेख चिल्ली को पुरस्कार देने का आदेश दिया। शेख चिल्ली ने हंसते हुए हजार सोने की मुहरें स्वीकार कीं और सोचा, "छोटे नवाब चाहे थोड़े बेवकूफ हों, लेकिन दिलदार जरूर हैं।"