पंचांग के अनुसार आज पौष मास के कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि है। ग्रह-नक्षत्रों की विशेष स्थिति के कारण आज का दिन धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जा रहा है। प्रातः काल में सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग का दुर्लभ संयोग बन रहा है, जो शुभ कार्यों के लिए अत्यंत फलदायी माना गया है। वहीं भद्रा और कुछ अशुभ कालों के कारण दिन के कुछ हिस्सों में सावधानी बरतने की भी आवश्यकता रहेगी।
तिथि एवं पक्ष
- मास: पौष
- पक्ष: कृष्ण
- तिथि: कृष्ण दशमी – दोपहर 4:37 बजे तक
- इसके बाद कृष्ण एकादशी का आरंभ
नक्षत्र एवं योग
- नक्षत्र: हस्त – सुबह 8:18 बजे तक इसके बाद चित्रा नक्षत्र
- योग: सौभाग्य योग – सुबह 11:45 बजे तक
- विडाल योग – पूरे दिन
करण
- करण: विष्टि – दोपहर 6:49 बजे तक
- (अन्य मान्यतानुसार: बव करण दिनभर प्रभावी)
सूर्य एवं चंद्र स्थिति
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सूर्योदय: सुबह 7:06 बजे
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सूर्यास्त: शाम 5:26 बजे
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चंद्रोदय: 15 दिसंबर, रात 2:50 बजे
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चंद्रास्त: दोपहर 1:34 बजे
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चंद्र राशि:
- कन्या – रात 9:41 बजे तक
- इसके बाद तुला राशि में प्रवेश
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दिन की अवधि: 10 घंटे 20 मिनट 16 सेकंड
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रात्रि की अवधि: 13 घंटे 40 मिनट 20 सेकंड
संवत विवरण
- विक्रम संवत: 2082 (कालयुक्त)
- शक संवत: 1947 (विश्वावसु)
- गुजराती संवत: 2082 (पिंगल)
- चंद्र मास:
- पूर्णिमांत – पौष
- अमांत – मार्गशीर्ष
- प्रविष्टे/गते: 29
ऋतु एवं अयन
- ऋतु: हेमंत (द्रिक एवं वैदिक)
- अयन: दक्षिणायन
आज के शुभ मुहूर्त
- ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 5:16 से 6:11 बजे तक
- प्रातः संध्या: सुबह 5:44 से 7:06 बजे तक
- अभिजित मुहूर्त: 11:55 से 12:37 बजे तक
- विजय मुहूर्त: 1:59 से 2:41 बजे तक
- गोधूलि मुहूर्त: 5:23 से 5:51 बजे तक
- सायाह्न संध्या: 5:26 से 6:48 बजे तक
- सर्वार्थ सिद्धि योग + अमृत सिद्धि योग:
- सुबह 7:06 से 8:18 बजे तक
(अत्यंत शुभ संयोग)
- सुबह 7:06 से 8:18 बजे तक
आज के अशुभ काल
- राहुकाल: 4:08 से 5:26 बजे तक
- यमगण्ड: 12:16 से 1:33 बजे तक
- गुलिक काल: 2:51 से 4:08 बजे तक
- दुर्मुहूर्त: 4:03 से 4:45 बजे तक
- वर्ज्य काल: 5:15 से 7:02 बजे तक
- भद्रा: सुबह 7:06 से शाम 6:49 बजे तक
- बाण: मृत्यु – 15 दिसंबर सुबह 4:51 बजे तक
दिशा शूल :पश्चिम दिशा में दिशा शूल रहेगा। अतः पश्चिम दिशा की यात्रा टालना शुभ रहेगा।
नोट: आज प्रातः काल में बने सर्वार्थ सिद्धि और अमृत सिद्धि योग में किए गए कार्य विशेष फल प्रदान करते हैं, वहीं भद्रा एवं अशुभ काल में शुभ कार्यों से बचना श्रेष्ठ माना गया है।
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