#शिलापेषणस्य चटन्यामपि आगता कृत्रिमबुद्धिः!

विनोद कुमार झा

अरे भाई साहब, ये आज की पीढ़ी की बात ही कुछ और है। पहले हमारे घर में सिलबट्टा था, सिलबट्टा! वो पत्थर का, जिस पर मां सुबह-सुबह धनिया, मिर्च, अदरक रगड़ती थीं और उसकी खुशबू से पूरा मोहल्ला महक उठता था। अब क्या है? अब तो मिक्सी आ गई है, और बच्चे तो कह रहे हैं कि "मां, Alexa से बोलकर मसाला पिसवा लो!"शिलापेषणस्य# चटन्यामपि आगता कृत्रिमबुद्धिः! (अर्थात: सिलबट्टे की चटनी में भी आ गई AI!)

हमारी गली में शर्मा जी की पत्नी, कांता भाभी, आज भी सिलबट्टे की कट्टर समर्थक हैं। उनका कहना है, "जो स्वाद सिलबट्टे के मसाले में है, वो तुम्हारी मिक्सी के 'फर्र-फर्र' में कहां?" एक दिन उनके बेटे, चिंटू, ने चुनौती दे डाली। चिंटू, जो आजकल AI और #मशीन लर्निंग# का मंत्र जपता रहता है, बोला, "मां, मैं एक ऐसा ऐप बनाऊंगा जो सिलबट्टे जैसा मसाला पीसेगा, बिल्कुल उसी स्वाद के साथ!"

कांता भाभी ने अपनी भौंहें ऊंची कीं, "देख ले चिंटू, सिलबट्टे का स्वाद AI भी नहीं ला सकता। "चिंटू ने भी ठान ली। हफ्तों रिसर्च की, मसालों के अणुओं का विश्लेषण किया, और एक दिन गर्व से बोला, "मां, मैंने 'सिलबट्टा 2.0' ऐप बना लिया है! इसमें वॉइस कमांड है, और यह मसाले की कंसिस्टेंसी को भी एडजस्ट कर सकता है।"

कांता भाभी को विश्वास नहीं हुआ। उन्होंने धनिया, मिर्च और थोड़ा सा अदरक लिया, और चिंटू के ऐप में वॉइस कमांड दी, "सिलबट्टा 2.0, जरा आज चटनी के लिए एकदम बारीक मसाला पीस दे, और हां, स्वाद ऐसा हो कि पड़ोसी भी उंगलियां चाटते रह जाएं!"

चिंटू ने गर्व से अपना फोन कांता भाभी को दिया, और ऐप ने तुरंत रिस्पांस दिया, "मालिकिन, आपके आदेश का पालन हो रहा है। कृपया मुझे 30 सेकेंड का समय दें।"

सब इंतज़ार कर रहे थे। अचानक ऐप से एक अजीब सी आवाज आई, "मसाला पीसते समय आपके दिल की धड़कन बढ़ रही है, मालिकिन। क्या आप मसाले में अतिरिक्त मिर्च चाहती हैं?"

कांता भाभी चौंक गईं। चिंटू भी हँसने लगा, "मां, ये इमोशनल इंटेलिजेंस है! ऐप आपकी भावनाओं को समझ रहा है।"

फिर ऐप बोला, "मालिकिन, मुझे लगता है कि मसाले में थोड़ा नमक कम है। क्या मैं आपकी रसोई से नमक उठा लाऊं?"

कांता भाभी का मुंह खुला का खुला रह गया। "अरे, ये क्या बकवास है?"

चिंटू ने कहा, "मां, ये 'मसाला-बॉट' फीचर है! यह आपकी रसोई में रखे सभी मसालों को ट्रैक करता है।"

लेकिन असली ड्रामा तब हुआ जब ऐप ने अचानक गाना गाना शुरू कर दिया, "मिर्च लगी तो मैं क्या करूं, मिर्ची लगी..." और उसके बाद एक डिस्क्लेमर आया, "यह मसाला पीसने की प्रक्रिया के दौरान उत्पन्न होने वाली खुशी को व्यक्त करने का एक प्रयास है।"

पूरा घर ठहाकों से गूंज उठा। कांता भाभी ने हँसते-हँसते चिंटू को गले लगा लिया। "चिंटू, भले ही तेरा ऐप कितना भी स्मार्ट क्यों न हो, सिलबट्टे की बात ही कुछ और है। कम से कम वो गाना तो नहीं गाता!"

और इस तरह, सिलबट्टा अपनी जगह पर कायम रहा, लेकिन उस दिन से चिंटू ने सिलबट्टे की महिमा को मान लिया था। और हां, कांता भाभी के ऐप में अब भी "मिर्च लगी तो मैं क्या करूं" वाला गाना सेव है, जिसे वह कभी-कभी चिंटू को चिढ़ाने के लिए चला देती हैं!

Post a Comment

Previous Post Next Post