सफलता का सूर्योदय वैभव सूर्यवंशी

 विनोद कुमार झा

"होनहार बिरवान के होत चिकने पात" यह कहावत जब धरातल पर उतरती है, तो उसका नाम होता है वैभव सूर्यवंशी। क्रिकेट की दुनिया में शायद ही कभी ऐसा संयोग देखने को मिलता है जब प्रतिभा, परिश्रम और प्रारब्ध एक साथ मैदान पर उतरते हैं और इतिहास बनता है। राजस्थान रॉयल्स के लिए आईपीएल 2025 में खेलते हुए महज 14 वर्ष के इस बालक ने क्रिकेट जगत को न सिर्फ चौंकाया बल्कि यह दिखा दिया कि 'सफलता किसी की मोहताज नहीं होती'।

गुजरात टाइटन्स जैसी सशक्त टीम के विरुद्ध 210 रनों के मुश्किल लक्ष्य का पीछा करते हुए वैभव ने जो कर दिखाया, वह किसी कल्पना से कम नहीं। उन्होंने केवल 35 गेंदों पर शतक बनाकर आईपीएल इतिहास का सबसे तेज भारतीय शतक बनाया और 14 वर्ष 32 दिन की उम्र में सबसे युवा शतकधारी भी बन गए। 11 छक्के, 7 चौके, और 38 गेंदों में 101 रन इन आँकड़ों से कहीं अधिक बोलती है उनकी आंखों में चमकती निर्भीकता, और कंधों पर दिखती जिम्मेदारी की झलक। 

क्रिस गेल जैसे दिग्गज का 30 गेंदों में बनाए गए शतक का रिकॉर्ड भले अब भी बरकरार हो, लेकिन भारतीय खिलाड़ियों में वैभव का 35 गेंदों वाला शतक अब एक नया मानक बन चुका है। इससे पहले यूसुफ पठान ने 37 गेंदों में शतक लगाकर यह गौरव हासिल किया था। वैभव की यह पारी बताती है कि प्रतिभा को उम्र से नहीं, दृष्टिकोण और समर्पण से मापा जाता है।

क्या यह मात्र संयोग है कि वैभव सूर्यवंशी पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में जन्मे? नहीं, यह एक ज्योतिषीय संकेत भी है। पूर्वाषाढ़ा, जिसका अर्थ ही होता है 'अजेय', उन व्यक्तियों का प्रतीक है जो कभी हार नहीं मानते। हाथ के पंखे का प्रतीक लेकर यह नक्षत्र जीवन में दृढ़ता, आत्मविश्वास और अथक परिश्रम की निशानी है। इस नक्षत्र में जन्में लोग चाहे किसी भी क्षेत्र में हों, वे चुनौती को अवसर में बदलने का हुनर रखते हैं।

27 मार्च 2011 को जन्मे वैभव में भी यह सभी गुण स्पष्ट रूप से दिखते हैं। उनकी बल्लेबाजी सिर्फ एक खेल प्रदर्शन नहीं, बल्कि यह इस बात की घोषणा है कि यदि जुनून हो, तो कोई भी बाधा बड़ी नहीं होती।

आईपीएल जैसे वाणिज्यिक और प्रतिस्पर्धी मंच पर वैभव जैसे युवा खिलाड़ी का इस तरह उभरना उन सभी युवाओं के लिए एक प्रेरणा है, जो कम उम्र में खुद को कम आंकते हैं। वह इस मिथक को तोड़ते हैं कि अनुभव ही सब कुछ है कभी-कभी साहस, कौशल और समर्पण भी इतिहास लिख सकते हैं।

उनकी कहानी यह भी दर्शाती है कि प्रतिभा को संवारने के लिए सही मंच, मार्गदर्शन और आत्मविश्वास जरूरी है। आईपीएल जैसी लीग जब ऐसे युवाओं को अवसर देती है, तो यह भारतीय क्रिकेट की जड़ों को और गहराई देती है।

वैभव की यह उपलब्धि सिर्फ क्रिकेट प्रेमियों के लिए गर्व का विषय नहीं है, बल्कि यह भारतीय समाज के लिए एक सशक्त संदेश भी है यदि बच्चों को बचपन से सही दिशा, प्रोत्साहन और अवसर मिलें, तो वे असंभव को भी संभव बना सकते हैं। यह भी आवश्यक है कि हम खेल और शिक्षा में संतुलन बनाकर प्रतिभा को उम्र की सीमाओं में न बांधें।

वैभव सूर्यवंशी ने केवल रन नहीं बनाए, उन्होंने भारत के हर छोटे शहर, गांव, और कस्बे में बैठें लाखों बच्चों के दिलों में यह विश्वास भर दिया कि वे भी कर सकते हैं, वे भी बन सकते हैं। उनका नाम केवल आईपीएल के रिकॉर्ड बुक में नहीं, हर उस माता-पिता, कोच और साथी खिलाड़ी की स्मृति में दर्ज हो गया है जो किसी बच्चे के सपनों में विश्वास रखते हैं। और अंततः, पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र का यह 'अजेय' बालक हमें यही सिखाता है सपनों की कोई उम्र नहीं होती, और सफलता सचमुच किसी की मोहताज नहीं होती।


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