Navratri 2024 spical: कैसे करें दुर्गा सप्तशती का पाठ, जानें इसका महत्व और नियम

विनोद कुमार झा

नवरात्रि के दौरान माता दुर्गा की कृपा पाने के लिए कई भक्त दुर्गा सप्तशती का पाठ करते हैं। माना जाता है कि नवरात्रि के प्रत्येक दिन दुर्गा सप्तशती का विधिवत पाठ करने से मां दुर्गा का आशीर्वाद प्राप्त होता है और सभी प्रकार के संकटों से मुक्ति मिलती है। इसके हर अध्याय से अलग-अलग लाभ प्राप्त होते हैं और सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

 शास्त्रों के अनुसार, स्वयं भगवान शिव ने देवी पार्वती को इस पाठ की महिमा बताई थी और इसके अद्भुत प्रभाव की व्याख्या की थी।

 दुर्गा सप्तशती के पाठ के नियम

1. पुस्तक को हाथ में लेकर न पढ़ें : दुर्गा सप्तशती की पुस्तक को हाथ में लेकर पाठ नहीं करना चाहिए। इसे या तो व्यासपीठ पर या लाल रंग के कपड़े पर स्थापित करके ही पाठ करें।  

2.  विराम न लें : पाठ के दौरान बीच में रुकना नहीं चाहिए। एक अध्याय समाप्त होने के बाद आप 10-15 सेकंड का विराम ले सकते हैं, लेकिन अध्याय के बीच में विराम लेना उचित नहीं है।

3. पाठ की गति : दुर्गा सप्तशती का पाठ न बहुत तेज और न ही बहुत धीमा होना चाहिए। मध्यम गति में पढ़ते समय उच्चारण स्पष्ट और सही होना चाहिए।

4. आसन पर बैठकर शुद्धि करें : पाठ शुरू करने से पहले अपने आसन पर बैठकर आत्मिक शुद्धि करें। इसके बाद ही पाठ का आरंभ करें।

 5. पुस्तक का नमन और ध्यान : पाठ शुरू करने से पहले दुर्गा सप्तशती की पुस्तक को प्रणाम करें और ध्यान लगाकर पाठ करें। 

6. पूरा पाठ एक दिन में न हो सके तो...: यदि आप एक ही दिन में पूरा पाठ नहीं कर पाते हैं, तो पहले दिन मध्यम चरित्र का पाठ करें और अगले दिन शेष दो चरित्र का। या फिर सात दिनों में क्रम से अध्याय पूरा करें।

7. नर्वाण मंत्र का पाठ : दुर्गा सप्तशती के पाठ से पहले और बाद में नर्वाण मंत्र 'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे' का पाठ करना आवश्यक है। इस मंत्र में मां सरस्वती, लक्ष्मी और काली के बीजमंत्र सम्मिलित होते हैं।

 8. संस्कृत में कठिनाई हो तो... : यदि संस्कृत में पाठ कठिन लगता हो, तो आप इसे हिंदी में सरलता से पढ़ सकते हैं। इससे अर्थ को समझने में आसानी होगी।

9. कवच, अर्गला, कीलक और रहस्य : दुर्गा सप्तशती के पाठ में कवच, अर्गला, कीलक और तीन रहस्यों का भी सम्मिलन करना चाहिए। पाठ के बाद क्षमा प्रार्थना अवश्य करें। 

10. अध्याय अधूरा न छोड़ें : किसी भी अध्याय को अधूरा न छोड़ें। सप्तशती के प्रथम, मध्यम और उत्तर चरित्र का क्रम से पाठ करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इससे शत्रुनाश और लक्ष्मी की प्राप्ति होती है।

नवरात्रि में दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से मां दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है और जीवन के सभी संकटों से मुक्ति मिलती है।

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