2. कौरवों का जन्म : गांधारी को महर्षि वेदव्यास ने सौ पुत्रों का वरदान दिया था। गर्भ गिराने पर गांधारी के पेट से एक मांस पिंड निकला जिसे वेदव्यास ने सौ टुकड़ों में विभाजित कर घी भरे कुण्डों में रखने का आदेश दिया। समय आने पर, उन्हीं पिंडों से सौ कौरवों और एक कन्या दु:शला का जन्म हुआ।
3. पांडवों का जन्म : पांडवों का जन्म देवी-देवताओं के आह्वान से हुआ। युधिष्ठिर धर्मराज से, भीम वायुदेव से, अर्जुन इन्द्र से, और माद्री के दो पुत्र नकुल व सहदेव अश्विनी कुमारों से उत्पन्न हुए।
4. कर्ण का जन्म : कर्ण का जन्म सूर्य देव के आशीर्वाद से हुआ। युवा अवस्था में ही, उत्सुकतावश कुन्ती ने सूर्य देव का आह्वान किया, जिससे कर्ण का जन्म हुआ, जिसे कुन्ती ने लोकलाज के डर से नदी में बहा दिया।
5. राम, लक्ष्मण, भरत, और शत्रुघ्न : राजा दशरथ ने पुत्र कामना के लिए पुत्रकामेष्टि यज्ञ किया। यज्ञ पुरुष ने स्वर्ण पात्र में नैवेद्य का प्रसाद दिया जिसे तीनों रानियों ने ग्रहण किया। कौशल्या से राम, कैकेयी से भरत, और सुमित्रा से लक्ष्मण व शत्रुघ्न का जन्म हुआ।
6. हनुमान का जन्म : हनुमान का जन्म वायु देवता के आशीर्वाद से माता अंजना के तपस्या के फलस्वरूप हुआ। वे वायु पुत्र के नाम से प्रसिद्ध हुए।
7. मकरध्वज : हनुमान के पुत्र मकरध्वज का जन्म हनुमानजी के पसीने की बूंद से हुआ, जो जल में गिरकर एक मछली ने पी लिया था। इसी से मकरध्वज का जन्म हुआ।
8. द्रोणाचार्य का जन्म : द्रोणाचार्य का जन्म महर्षि भरद्वाज के वीर्य को द्रोण नामक पात्र में रखने से हुआ था। इसी कारण उनका नाम द्रोण पड़ा।
9. ऋष्यश्रृंग : महात्मा काश्यप का वीर्य उर्वशी अप्सरा को देखकर जल में गिर गया, जिसे एक हिरणी ने पी लिया। इससे ऋष्यश्रृंग का जन्म हुआ, जिनके सिर पर एक सींग था।
10. कृपाचार्य और कृपी : महर्षि गौतम के पुत्र शरद्वान के शुक्रपात से दो शिशुओं का जन्म हुआ, जिन्हें राजा शांतनु ने कृपा और कृपी नाम दिया।
इन कथाओं में यह बताया गया है कि हमारे धर्मग्रंथों में भी ऐसी घटनाओं का वर्णन मिलता है, जिनमें सामान्य मानव जन्म की प्रक्रियाओं से हटकर अविश्वसनीय घटनाओं के आधार पर महान पात्रों का जन्म हुआ।